Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimaliji

तांत्रोक्त गुरु पूजन — निखिल जन्म उत्सव साधना

Happy Birthday Param Pujay SadGurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji – 21 Apr
तांत्रोक्त गुरु पूजन — निखिल जन्म उत्सव साधना
इस साधना के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर, स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें| बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर केसर से “ॐ” लिखी ताम्बे या स्टील की प्लेट रखें| उस पर पंचामृत से स्नान कराके “गुरु यन्त्र” व “कुण्डलिनी जागरण यन्त्र” रखें| सामने गुरु चित्र भी रख लें| अब पूजन प्रारंभ करें|
— पवित्रीकरण —बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ की उंगलियों से स्वतः पर छिड़कें -ॐ अपवित्रः पवित्रो व सर्वावस्थां गतोऽपि वा |यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ||
— आचमन —निम्न मंत्रों को पढ़ आचमनी से तीन बार जल पियें -ॐ आत्म तत्त्वं शोधयामि स्वाहा | ॐ ज्ञान तत्त्वं शोधयामि स्वाहा | ॐ विद्या तत्त्वं शोधयामि स्वाहा |१ माला जाप करे अनुभव करे हमरे पाप दोस समाप्त हो रहे है। .ॐ ह्रौं मम समस्त दोषान निवारय ह्रौं फट संकल्प ले फिर पूजन आरम्भ करे ।
— सूर्य पूजन —कुंकुम और पुष्प से सूर्य पूजन करें -ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च |हिरण्येन सविता रथेन याति भुनानि पश्यन ||ॐ पश्येन शरदः शतं श्रृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतं |जीवेम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात ||
— ध्यान —अचिन्त्य नादा मम देह दासं, मम पूर्ण आशं देहस्वरूपं |न जानामि पूजां न जानामि ध्यानं, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं ||ममोत्थवातं तव वत्सरूपं, आवाहयामि गुरुरूप नित्यं |स्थायेद सदा पूर्ण जीवं सदैव, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं ||
— आवाहन —ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |ॐ स्वच्छ प्रकाश विमर्श हेतवे श्री सच्चिदानंद परम गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे पारमेष्ठि गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |
— स्थापन —गुरुदेव को अपने षट्चक्रों में स्थापित करें -श्री शिवानन्दनाथ पराशक्त्यम्बा मूलाधार चक्रे स्थापयामि नमः |श्री सदाशिवानन्दनाथ चिच्छक्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे स्थापयामि नमः |श्री ईश्वरानन्दनाथ आनंद शक्त्यम्बा मणिपुर चक्रे स्थापयामि नमः |श्री रुद्रदेवानन्दनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे स्थापयामि नमः |श्री विष्णुदेवानन्दनाथ क्रिया शक्त्यम्बा सहस्त्रार चक्रे स्थापयामि नमः |
— पाद्य —मम प्राण स्वरूपं, देह स्वरूपं समस्त रूप रूपं गुरुम् आवाहयामि पाद्यं समर्पयामि नमः |
— अर्घ्य —ॐ देवो तवा वई सर्वां प्रणतवं परी संयुक्त्वाः सकृत्वं सहेवाः |अर्घ्यं समर्पयामि नमः |
— गन्ध —ॐ श्री उन्मनाकाशानन्दनाथ – जलं समर्पयामि |ॐ श्री समनाकाशानन्दनाथ – स्नानं समर्पयामि |ॐ श्री व्यापकानन्दनाथ – सिद्धयोगा जलं समर्पयामि |ॐ श्री शक्त्याकाशानन्दनाथ – चन्दनं समर्पयामि |ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ – कुंकुमं समर्पयामि |ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ – केशरं समर्पयामि |ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ – अष्टगंधं समर्पयामि |ॐ श्री विन्द्वाकाशानन्दनाथ – अक्षतां समर्पयामि |ॐ श्री द्वन्द्वाकाशानन्दनाथ – सर्वोपचारां समर्पयामि |
— पुष्प, बिल्व पत्र —तमो स पूर्वां एतोस्मानं सकृते कल्याण त्वां कमलया सशुद्ध बुद्ध प्रबुद्ध स चिन्त्य अचिन्त्य वैराग्यं नमितांपूर्ण त्वां गुरुपाद पूजनार्थंबिल्व पत्रं पुष्पहारं च समर्पयामि नमः |
— दीप —श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योतिं समर्पयामि |श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशम् समर्पयामि |श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं समर्पयामि |श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि |श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं समर्पयामि |श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध दीपं समर्पयामि |श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश दीपं समर्पयामि |श्री विधीशालीनाम्बा पूर्ण दीपं समर्पयामि |
— नीराजन —ताम्रपात्र में जल, कुंकुम, अक्षत अवं पुष्प लेकर यंत्रों पर समर्पित करें -श्री सोममण्डल नीराजनं समर्पयामि |श्री सूर्यमण्डल नीराजनं समर्पयामि |श्री अग्निमण्डल नीराजनं समर्पयामि |श्री ज्ञानमण्डल नीराजनं समर्पयामि |श्री ब्रह्ममण्डल नीराजनं समर्पयामि |
— पञ्च पंचिका —अपने दोनों हाथों में पुष्प लेकर निम्न पञ्च पंचिकाओं का उच्चारण करते हुए इन दिव्य महाविद्याओं की प्राप्ति हेतु गुरुदेव से निवेदन करें –
— पञ्चलक्ष्मी —श्री विद्या लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री एकाकार लक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री महालक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री त्रिशक्तिलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री सर्वसाम्राज्यलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |
— पञ्चकोश —श्री विद्या कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री परज्योति कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री परिनिष्कल शाम्भवी कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री अजपा कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री मातृका कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |
— पञ्चकल्पलता —श्री विद्या कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री त्वरिता कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री पारिजातेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री त्रिपुटा कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री पञ्च बाणेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |
— पञ्चकामदुघा —श्री विद्या कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री अमृत पीठेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री सुधांशु कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री अमृतेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री अन्नपूर्णा कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |
— पञ्चरत्न विद्या —श्री विद्या रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री सिद्धलक्ष्मी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री मातंगेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री भुवनेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री वाराही रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |श्री मन्मालिनी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |
— श्री मन्मालिनी —अंत में तीन बार श्री मन्मालिनी का उच्चारण करना चाहिए जिससे गुरुदेव की शक्ति, तेज और सम्पूर्ण साधनाओं की प्राप्ति हो सके –
ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ल्रृं एं ऐँ ओं औं अं अः |
कं खं गं घं ङं | चं छं जं झं ञं | टं ठं डं ढं णं | तं थं दं धं नं | पं फं बं भं मं | यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं हंसः सोऽहं गुरुदेवाय नमः |
— मूल मंत्र —
ॐ निं निखिलेश्वरायै ब्रह्म ब्रह्माण्ड वै नमः |
इस मंत्र का मूंगा माला से १०१, ५१ माला जप करें |
— प्रार्थना —लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् |शिष्य हृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||त्रिपूज्यं विश्व वन्द्यं च विष्णुशम्भो प्रियं सुतं |क्षिप्र प्रसाद निरतं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||मत्त मातंग गमनं कारुण्यामृत पूजितं |सर्व विघ्न हरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||अस्मत् कुलेश्वरं देवं सर्व सौभाग्यदायकं |अस्मादिष्ट प्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||यस्य धन्वन्तरिर्माता पिता रुद्रोऽभिषक् तमः |तं शास्तारमहं वंदे महावैद्यं दयानिधिं ||
— समर्पण —
ॐ सहनावतु सह नौ भुनत्तु सहवीर्यं करवावहै,तेजस्विनां धीतमस्तु मा विद्विषावहै |ॐ ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविः ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतं |ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्म कर्म समाधिना |
ॐ शान्तिः | शान्तिः || शान्तिः |||
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