Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimaliji

Shri Yantra Mahavidya Sadhana

यह पूजन आप श्रीयंत्र,दस महाविद्या यन्त्र ,या कोइ भी रत्न या
रुद्राक्ष पर या कुछ नही तो सुपारी पर कर सकते है .. उस सुपारी को अपनी तिजोरी मे रखे .. अगले साल उसे विसर्जित कर नइ सुपारी पर पुजन करे ..

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महालक्ष्मी पूजन के साथ कुबेर का पूजन भी करे जिसे दुसरी पोस्ट मे प्रस्तुत किया है ..

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पूजन सामुग्री सामान्य यानी हल्दी,कुमकुम ,चन्दन ,अष्टगंध ,
अक्षत ,इत्र ,कपूर,फुल,फल,मिठाई ,पान,अगरबत्ती,दीपक आदि
रखे ..महालक्ष्मी पूजन में कभी भी कोई कंजूसी न करे ..यथाशक्ति अच्छी से अच्छी सामुग्री रखे ..जैसे मिठाई ,अगरबत्ती ,फुल अच्छी क्वालिटी के रखे ..वातावरण प्रसन्न रखे .घर को सजाये .महालक्ष्मी जी को सजावट और प्रसन्न वातावरण और सफाई पसंद है ..

■सबसे पहले आपके सामने गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र या महाविद्या यन्त्र या फोटो जो भी साधन सामुग्री हो उसे रखे ..दीपक और अगरबत्ती जलाए ..

पहले गुरु स्मरण ,गणेश स्मरण करे ..

ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः

अब आप 4 बार आचमन करे ( दाए हाथ में पानी लेकर पिए )

श्रीं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं विद्या तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं शिव तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा

अब आप घंटा नाद करे और उसे पुष्प अक्षत अर्पण करे

घंटा देवताभ्यो नमः

अब आप जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करे

आसन देवताभ्यो नमः

अब आप दीपपूजन करे उन्हें प्रणाम करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे

दीप देवताभ्यो नमः

अब आप कलश का पूजन करे ..उसमेगंध ,अक्षत ,पुष्प ,तुलसी,इत्र ,कपूर डाले ..उसे तिलक करे .

कलश देवताभ्यो नमः

अब आप अपने आप को तिलक करे
और दाहिने हाथ में जल,पुष्प,अक्षत
लेकर संकल्प करे की आप अपना नाम गोत्र बोलकर आज दीपावली ( या धनत्रयोदशी ) के शुभ मुहूर्त पर यथा शक्ति महालक्ष्मी पूजन कर रहे है और वे आपका पूजन ग्रहण करे और आप पर हमेश कृपा दृष्टी रखे या आपकी जो मनोकामना है उसे पुरी करे और जल को पुजन स्थान पर छोडे ..

अब आप गणेशजी का स्मरण करे ..गणेशजी महालक्ष्मी के मानस पुत्र है ..इसीलिए उनका पूजन इस महालक्ष्मी पूजन में महत्त्व पूर्ण है ….

llवक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा ll

श्री महागणपति आवाहयामि
मम पूजन स्थाने ऋद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः
त्वां चरणे गन्धाक्षत पुष्पं समर्पयामि

ॐ श्री गणेशाय नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय नमः नैवेद्यं समर्पयामि

■अब नीचे दिये हुये नामों से गणेश जी को दुर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे

गं सुमुखाय नम:
गं एकदंताय नम:
गं कपिलाय नम:
गं गजकर्णकाय नम:
गं लंबोदराय नम:
गं विकटाय नम:
गं विघ्नराजाय नम:
गं गणाधिपाय नम:
गं धूम्रकेतवे नम:
गं गणाध्यक्षाय नम:
गं भालचंद्राय नम:
गं गजाननाय नम:
गं वक्रतुंडाय नम:
गं शूर्पकर्णाय नम:
गं हेरंबाय नम:
गं स्कंदपूर्वजाय नम:

अब गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करे

एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात

आप चाहे तो यहाँ गणपती अथर्वशीर्ष का अन्य किसी गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकते है ..

अनेन पूजनेन श्री महागणपति देवता प्रीयन्तां न मम

■अब भगवान विष्णु का पूजन करे। महालक्ष्मी विष्णु पत्नी है।

जहां विष्णु का पूजन होता है वहाँ लक्ष्मी अपने आप आती है

विष्णु ध्यान :-

शान्ताकारं भुजंग शयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगीर्भि ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम्

ॐ श्री विष्णवे नमः
श्री महाविष्णु आवाहयामि मम पूजा स्थाने स्थापयामि पूजयामि नमः

ॐ श्री विष्णवे नमः गंधाक्षत समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः धूपं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः दीपं समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः नैवेद्यं समर्पयामि

आप चाहे तो यहाँ पुरुषसूक्त , विष्णुसूक्त का पाठ कर सकते है ..

■अब भगवान विष्णु के 24 नामोंसे तुलसी या पुष्प अर्पण करे

१. ॐ केशवाय नमः
२. ॐ नारायणाय नमः
३. ॐ माधवाय नमः
४. ॐ गोविन्दाय नमः
५. ॐ विष्णवे नमः
६. ॐ मधुसूदनाय नमः
७. ॐ त्रिविक्रमाय नमः
८. ॐ वामनाय नमः
९. ॐ श्रीधराय नमः
१०. ॐ ऋषिकेशाय नमः
११. ॐ पद्मनाभाय नमः
१२. ॐ दामोदराय नमः
१३. ॐ संकर्षणाय नमः
१४. ॐ वासुदेवाय नमः
१५. ॐ प्रद्युम्नाय नमः
१६. ॐ अनिरुद्धाय नमः
१७. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः
१८. ॐ अधोक्षजाय नमः
१९. ॐ नारसिंहाय नमः
२०. ॐ अच्युताय नमः
२१. ॐ जनार्दनाय नमः
२२. ॐ उपेन्द्राय नमः
२३. ॐ हरये नमः
२४. ॐ श्रीकृष्णाय नमः

■अब भगवान विष्णु को अर्घ्य प्रदान करे

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात

अनेन पूजनेन श्री महाविष्णु देवता प्रियन्ताम् न मम

अब आप महालक्ष्मी का ध्यान करे ..

■फिर चाहे तो महालक्ष्मी हृदय स्तोत्र से आवाहन करे ..वैसे तो यह स्तोत्र बहुत बडा है लेकिन इसका संक्षिप्त रुप दुसरी पोस्ट मे प्रस्तुत करुंगा ..

महालक्ष्मी का आवाहन करे ..आवाहन के लिये संक्षिप्त हृदय स्तोत्र का
या ध्यान मंत्र का पाठ करे ..

ध्यान मंत्र

या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया
या लक्ष्मी दिव्यरुपै मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सानित्यं पद्महस्ता मम वसतु गॄहे सर्वमांगल्ययुक्ता

श्री महालक्ष्मी आवाहयामि मम गृहे मम कुले मम पूजा स्थाने आवाहयामि स्थापयामि नमः

(अगर आपको मुद्रा का ज्ञान हो तो भगवती महालक्ष्मी के लिए पद्ममुद्रा दिखाए )

फिर पुष्प अक्षत अर्पण करे ..और उनका पंचोपचार या षोडश उपचार पूजन करे

( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आवाहनं समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर दो आचमनी जल अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पाद्यो पाद्यं समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर जल में चन्दन अष्ट गंध मिलाकर अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अर्घ्यम समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर एक आचमनी जल अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर स्नान के लिए जल अर्पण करे यहाँ आप चाहे तो श्रीसूक्त या अन्य किसी महालक्ष्मी स्तोत्र से अभिषेक कर सकते है .. )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर मौली लाल धागा या अक्षत अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि

( निचे का मन्त्र बोलकर मौली या अक्षत अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः उप वस्त्रं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः हरिद्रा कुमकुम समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः चन्दन अष्ट गंधं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः सुगन्धित द्रव्यम समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अलंकारार्थे अक्षतान समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालाम समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः धूपं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः दीपं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः फलं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि’

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः कर्पुर आरती समर्पयामि

अब आप अष्ट सिद्धियों का पूजन करे
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करे

ॐ अणिम्ने नमः
ॐ महिम्ने नमः
ॐ गरिम्ने नमः
ॐ लघिम्ने नमः
ॐ प्राप्त्यै नमः
ॐ प्राकाम्यै नमः
ॐ इशितायै नमः
ॐ वशितायै नमः

■अब आप अष्टलक्ष्मी का पूजन करे
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं अर्पण करे

ॐ आद्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धन लक्ष्म्यै नमः
ॐ धान्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ धैर्य लक्ष्म्यै नमः
ॐ गज लक्ष्म्यै नमः
ॐ संतान लक्ष्म्यै नमः
ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः
ॐ विजय लक्ष्म्यै नमः

(यहाँ पर भगवती महालक्ष्मी की 32 नामावली अलग दी है उससे पूजन करे .अगर समय नहि है तो इसको छोडकर आगे का पुजन कर सकते है )

Pledge of the Sages (Kamla Mahavidya Sadhna/कमला महाविद्या साधना): Take water in left hand and by right hand touch different parts of the body while chanting the following spell so that all the parts of your body becomes scrumptious and sanctified. Performing these parts of your body becomes strong and becomes sensitive.

भृगुऋषये नम: शिरसि (सर को स्पर्श करें)
निच्रच्छ्न्दसे नम: मुखे (मुख को स्पर्श करें)
श्रीमहालक्ष्मीदेवतायै नम: ह्रदये (ह्रदय को स्पर्श करें)
श्रीं बीजाय नम: गुहे (गुप्तांग को स्पर्श करें)
ह्रीं शक्तये नम: पादयो: (दोनों पैरों को स्पर्श करें)
ऐं कीलकाय नम: नाभौ (नाभि को स्पर्श करें)
विनियोगाय नम: सर्वांगे (पुरे शरीर को स्पर्श करें)

Pledge of Hands: By the thumbs of your both the hands touch all the fingers by chanting the following spell. Doing so sensitivity increases.

श्रां अंगुष्ठाभ्यां नम:।
श्रीं तर्जनीभ्यां नम: ।
श्रूं मध्यमाभ्यां नम: ।
श्रैं अनामिकाभ्यां नम: ।
श्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: ।
श्र: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ।

Pledge of Heart: Take water on the palm of the left hand and with the fingers of right hand dip into the water of left hand and chant the following spell with a feeling that total body of yours is sanctified. This Kamla Mahavidya Sadhna makes your part of the body parts scrumptious, powerful and increases sensitivity.

श्रां ह्रदयाय नम: (ह्रदय को स्पर्श करें)
श्रीं शिरसे स्वाहा (सर को स्पर्श करें)
श्रूं शिखायै वषट् (शिखा को स्पर्श करें)
श्रैं कवचाय हुम् (दोनों कंधों को स्पर्श करें)
श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)
श्र: अस्त्राय फट् (अपने सर पर सीधा घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं)

Meditation: After this meditate and worship goddess Kamala by folding hands. Burn benzyl, earthen lamp of ghee, take flowers in palm and a little rice and chant the following spell.

कान्त्या कांचन सन्निभां हिमगिरी प्रख्यैश्चतुर्भिर्ग्गजै: ।
हस्तोत्क्षिप्त हिरण्मयामृतघटै  रासिच्यमानां  श्रियम् ॥
बिभ्राणां वरमब्ज  युग्ममभयं  हस्ते  किरीटोज्ज्वम् ।
क्षौमाबद्धनितम्बबिम्बलसितां  वन्देरविन्द  स्थिताम ॥

After the completion of Puja, with energized rosary of coral chant the following spell for 23 rosaries for 11 days. Thereafter recite the Kamala (Kamla Mahavidya Sadhna) Kavach.

॥ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्सौ: जगत्प्रसूत्यै नम: ॥
॥ Om Aing Hreeng Shreeng Kleeng Hassou Jagatprasutye Namah॥

साधक एक एक मंत्र नाम पढ़कर पुष्प अक्षत चढ़ाते जाए।

  1. ॐ श्रियै नमः।
  2. ॐ लक्ष्म्यै नमः।
  3. ॐ वरदायै नमः।
  4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।
  5. ॐ वसुप्रदायै नमः।
  6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।
  7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः।
  8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः।
  9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः।
  10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।
  11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः।
  12. ॐ पद्महस्तायै नमः।
  13. ॐ पद्मप्रियायै नमः।
  14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः।
  15. ॐ सूर्यायै नमः।
  16. ॐ चंद्रायै नमः।
  17. ॐ बिल्वप्रियायै नमः।
  18. ॐ ईश्वर्यै नमः।
  19. ॐ भुक्त्यै नमः।
  20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।
  21. ॐ विभूत्यै नमः।
  22. ॐ ऋद्धयै नमः।
  23. ॐ समृद्ध्यै नमः।
  24. ॐ तुष्टयै नमः।
  25. ॐ पुष्टयै नमः।
  26. ॐ धनदायै नमः।
  27. ॐ धनैश्वर्यै नमः।
  28. ॐ श्रद्धायै नमः।
  29. ॐ भोगिन्यै नमः।
  30. ॐ भोगदायै नमः।
  31. ॐ धात्र्यै नमः।
  32. ॐ विधात्र्यै नमः।

■अब एक आचमनी जल लेकर पूजा स्थान पर छोड़े
अनेन महालक्ष्मी द्वात्रिंश नाम पूजनेन श्री भगवती महालक्ष्मी देवता प्रीयन्तां मम .

■अब महालक्ष्मी के पुत्रों का पूजन करे
(अगर समय है तो करे )
१. ॐ देवसखाय नमः
२. ॐ चिक्लीताय नमः
३. ॐ आनंदाय नमः
४. ॐ कर्दमाय नमः
५. ॐ श्रीप्रदाय नमः
६. ॐ जातवेदाय नमः
७. ॐ अनुरागाय नमः
८. ॐ संवादाय नमः
९. ॐ विजयाय नमः
१०. ॐ वल्लभाय नमः
११. ॐ मदाय नमः
१२. ॐ हर्षाय नमः
१३. ॐ बलाय नमः
१४. ॐ तेजसे नमः
१५. ॐ दमकाय नमः
१६. ॐ सलिलाय नमः
१७. ॐ गुग्गुलाय नमः
१८ . ॐ कुरूण्टकाय नमः

अनेन पूजनेन श्री महालक्ष्मी पुत्र सहित श्री महालक्ष्मी प्रियन्ताम् न मम

■हाथ जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करे

त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा इश्वरी कमला लक्ष्मीश्चचला भूतिर हरिप्रिया पद्मा पद्मालया संपदुच्चे: श्री: पद्माधारिणी

द्वादशैतानी नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्र दारादीभि : सह||

अब आचमनी मे जल और कुंकुम लेकर महालक्ष्मी गायत्री से अर्घ्य दे सकते है ..

ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात

हाथ जोड़ कर माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना करे _

त्राहि त्राहि महालक्ष्मी त्राहि त्राहि सुरेश्वरी त्राहि त्राहि जगन्माता दरिद्रात त्राही वेगत :
त्वमेव जननी लक्ष्मी त्वमेव पिता लक्ष्मी भ्राता त्वं च सखा लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी त्वमेव च
रक्ष त्वं देव देवेशी देव देवस्य वल्लभे
दरिद्रात त्राही मां लक्ष्मी कृपां कुरु ममोपरी

ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः॥

माँ महालक्ष्मी मम गृहे मम कुले मम परिवारे मम गोत्रे मम हृदये
सदा स्थिरो भव प्रसन्नो भव वरदो भव

॥ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्सौ: जगत्प्रसूत्यै नम: ॥
॥ Om Aing Hreeng Shreeng Kleeng Hassou Jagatprasutye Namah॥

कमला महाविद्या कवच

ऐन्कारो मस्तके पातु वाग्भवी सर्वसिद्धिदा ।
ह्रीं पातु चक्षुषोर्मध्ये चक्षुयुग्मे च शांकरी ॥
जिह्वायां मुखव्रत्ते च कर्णयोर्दन्तयोर्नसि ।
ओष्ठाधरे दंतपन्क्तौ तालुमूले हनौ पुन: ॥
पातु मां विष्णुवनिता लक्ष्मी: श्रीविष्णुरूपिणी ।
कणयुग्मे भुजद्वन्द्वे स्तनद्वन्द्वे च पार्वती ॥
ह्रदये मणिबंधे च ग्रीवायां पाशर्वयो: पुन: ।
पृष्ठदेशे तथा गुहे वामे च दक्षिणे तथा ॥
उपस्थे च नितम्बे च नाभौ जंघाद्वये पुन: ।
जानुचक्रे पदद्वन्द्वे घुटिकेऽड़ूगुलिमूलके ॥
स्वधातु-प्राणशक्त्यात्मसीमन्ते मस्तके पुन: ।
विजया पातु भवने जया पातु सदा मम ॥
सर्वांगे पातु कामेशी महादेवी सरस्वती ।
तुष्टि: पातु महामाया उत्कृष्टि: सर्वदाऽवतु ॥
ऋद्धि: पातु महादेवी सर्वत्र शम्भुवल्लभा ।
वाग्भवी सर्वदा पातु पातु मां हरगेहिनी ॥
रमा पातु सदा देवी पातु माया स्वराट् स्वयम् ।
सर्वांगे पातु मां लक्ष्मीर्विष्णुमाया सुरेश्वरी ॥
शिवदूती सदा पातु सुन्दरी पातु सर्वदा ।
भैरवी पातु सर्वत्र भेरुंडा सर्व्वदाऽवतु ।
त्वरिता पातु मां नित्यमुग्रतारा सदाऽवतु ।
पातु मां कालिका नित्यं कालरात्रि: सदावतु ॥
नवदुर्गा सदा पातु कामाक्षी सर्वदाऽवतु ।
योगिन्य: सर्वदा पान्तु मुद्रा: पान्तु सदा मम ॥
मात्रा: पान्तु सदा देव्यश्चक्रस्था योगिनीगणा: ।
सर्वत्र सर्वकामेषु सर्वकर्मसु सर्वदा ।
पातु मां देवदेवी च लक्ष्मी: सर्वसम्रद्धिदा ॥

■अब आप प्रार्थना करे की आपका महालक्ष्मी पूजन पूर्ण रूप से फले ..

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