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Govardhan pooja

#गोवर्धनपूजा◆

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गोवर्धन पूजन 02.11.2024 को की जावेगी…

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ॐ ह्रीं ह्रीं गोवर्धनाय भद्राय ऐं ऐं ॐ नम:।

तुलसी माला से 7 माला करें! यह त्योहार दिवाली के अगले दिन प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन गौ माता के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को इंद्र देवता के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा का प्रचलन है। इस दिन गौ माता की भी पूजा की जाती है, क्योंकि गौ माता ना केवल हमें पौष्टिक आहार देती है, बल्कि हमें निरोगी काया का भी वरदान देती है। गोवर्धन की पूजा मुख्यता अन्न, धन और संपत्ति की रक्षा के लिए की जाती है, इसलिए हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस दिन ब्रजवासियों के देवता भगवान गिरिराज को भी अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है। आज गोवर्धन पूजा के दौरान निम्न लिखित उच्चारण करने से आपको भगवान गिरिराज और विष्णु भगवान दोनों की ही कृपा प्राप्त होती है।गोवर्धन पूजा मंत्र:-गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।अर्थ:– हे! गोवर्धन को धारण करने वाले, रक्षा करने वाले हमारे प्रिय भगवान विष्णु जी को मैं कोटि – कोटि प्रणाम करता हूं।लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।अर्थ:- गोवर्धन पूजा के समय गाय के गोबर से घर और आंगन को लीपें। इसके बाद समस्त देवताओं (वायु, इंद्र,विष्णु,अग्नि) आदि की पूजा करें।गोवर्धन पूजा के अलावा अन्य जैसे:- परिवार में कलेश, परेशानी, मानसिक तनाव और चिंताओं से मुक्ति के लिए भी इन मंत्रों का जप काफी लाभकारी सिद्ध होता है। ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।।अर्थ :– हे! गिरधर गोपाल, हे परमात्मा, हे जगत के पालनहार, आप हमारे सारे कष्ट दूर करें।ॐ नम: भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।।अर्थ:– हे वासुदेव कृष्ण, हे गोविन्द आप हमारे जीवन के सारे क्लेशों को समाप्त कर हमें कष्टरहित करें।ॐ गोविंदाय नम:।।अर्थ:– हे गोविंद हम आपको नमन करते हैंॐ श्रीकृष्णं शरणं मम।।अर्थ:– हे कृष्ण भगवान, कृपया हमें अपनी शरण में ले चलें।हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।।गोवर्धन आरती(व्रजभाषा में) :-श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहओ।तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार।तेरे माथे मुकुट विराज रहओ।तेरी सात कोस की परिकम्मा,और चकलेश्वर विश्रामतेरे माथे मुकुट विराज रहओ।तेरे गले में कण्ठा साज रहओ,ठोड़ी पे हीरा लाल।तेरे माथे मुकुट विराज रहओ।तेरे कानन कुण्डल चमक रहओ,तेरी झाँकी बनी विशाल।तेरे माथे मुकुट विराज रहओ।#श्रीकृष्ण जी के मंत्र,जिससे हर मुराद पूरी होती है! इनका नित्य जप करने से सुख समृद्धि में अभूतपूर्व वृद्धि होती है–

**1:-परिवार के सुख के लिए:-**”कृं कृष्णाय नमः”**2:-धनवान बनने के लिए:-** “ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा”**3:-धन प्राप्ति के लिए:-**”गोवल्लभाय स्वाहा”**4:-भौतिक सुख पाने के लिए:-**”गोकुल नाथाय नमः”**5:-आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए:-**”क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः”**6:-प्रेम विवाह करने के लिए:-**”ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय”**7:-वाणी शक्ति पाने का मंत्र:-**”ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो!!”**8:-बाधा मुक्ति के लिए:-**”ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्रीं!!**9:-मन की मुराद पूरी करने के लिए:-**”ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा!!”**10:- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए:-**”लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा!!”**11. आर्थिक संकट दूर करने के लिए:-**”नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा!!”**12:-चमत्कारी शक्तियां दिलाता है ये मन्त्र:-**”ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे”!!**”रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे!!”**13. इस मंत्र से टल जाता है धन संकट:-**”कृष्णःकर्षति आकर्षति सर्वान जीवान्‌ इति कृष्ण”!!**”ओम्‌ वेदाः वेतं पुरुषः महंतां देवानुजं प्रतिरंत जीव से”!!*#कृष्णाष्टकम_स्तोत्र।* *वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं।**देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगतगुरूम्।। *चतुर्मुखादि-संस्तुं समस्त सात्वतानुतम्‌।**हलायुधादि-संयुतं नमामि राधिकाधिपम्‌॥१**बकादि-दैत्यकालकं सगोपगोपि पालकम्‌।**मनोहरासितालकं नमामि राधिकाधिपम्‌॥२**सुरेन्द्रगर्वभंजनं विरंचि-मोह-भंजनम्‌।**व्रजांगनानुरंजनं नमामि राधिकाधिपम्‌॥३**मयूरपिच्छमण्डनं गजेन्द्र-दन्त-खण्डनम्‌।**नृशंसकंशदण्डनं नमामि राधिकाधिपम्‌॥४**प्रसन्नविप्रदारकं सुदामधाम कारकम्‌।**सुरद्रुमापहारकं नमामि राधिका धिपम्‌॥५**धनंजयाजयावहं महाचमूक्षयावहम्‌।**पितामहव्यथापहं नमामि राधिकाधिपम्‌॥६**मुनीन्द्रशापकारणं यदुप्रजापहारणम्‌।**धराभरावतारणं नमामि राधिकाधिपम्‌॥७**सुवृक्षमूलशायिनं मृगारिमोक्षदायिनम्‌।**स्वकीयधाममायिनं नमामि राधिकाधिपम्‌॥८**इदं समाहितो हितं वराष्टकं सदा मुदा।**जपंजनो जनुर्जरादितो द्रुतं प्रमुच्यते॥९**इतिश्रीपरमहंसब्रह्मानन्दविरचितं कृष्णाष्टकं सम्पूर्णम्‼️*~~~~~~““““`~~~~~“““`~~~~